शनि जयंती क्या है?

शनि महाराज जी की जयंती हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को बड़ी श्रद्धा और उनकी अराधना करके मनाई जाती है। इस दिन शनि महाराज की पूजा अर्चना एवं तेल से अभिषेक किया जाता है। यह दिन शनि दोष से पिड़ित जातकों के लिए शुभ दिन है।

इस दिन शनि महाराज जी की अराधना पूजा करने से किसी भी प्रकार के शनि दोष में फायदा मिलता है। जातक शनि महाराज जी की कृपा का पात्र बनता है।

2020 में शनि जयंती कब है?

शनि जयंती इस बर्ष 22 मई 2020 को मनाई जाएगी।

शनिदेव कौन है?

आज हम सभी खगोलीय विज्ञान के आधार पर शनि महाराज जी को एक ग्रह के रूप में मानते हैं। शनि हमारे सूर्य मंडल का एक तेजस्वी ग्रह है। जो अपनी नियत अवधि में लगातार सूर्य की परिक्रमा कर रहा है। लेकिन हमारा अध्यात्मिक विज्ञान एवं धार्मिक परंपरा शनि महाराज जी को एक देवत्व शक्ति के रूप में आदर सम्मान से पूजती है।

शनि राशि चक्र की दसवीं राशि मकर व ग्यारहवीं राशि कुंभ के अधिपति है। एक राशि में शनि लगभग 18 महिने रहते हैं। कुछ धारना शनि को क्रूर एवम पाप ग्रह के रुप में मानती है। जो अशुभ फल देने वाला ग्रह है। लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। शनि महाराज तो न्याय के देवता है। वो न्यायाधीश है। कर्म के अनुसार फल देने वाले कर्मफलदाता है।

इसलिए जिसकी जैसी करनी वैसी भरनी के आधार पर अच्छे कर्म का फल अच्छा और बुरे कर्म का फल बुरा देते हैं। शनि देव सुर्य के पुत्र है। इनकी माता का नाम छाया (संवर्णा) है। ये नवग्रहों में प्रमुख ग्रह है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या को शनि महाराज का जन्म हुआ था। इनका वर्ण कृष्ण है। इनकी सवारी गिद्ध है।

शनि की महादशा 19 बर्ष तक रहती है। शनि की गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी से 95 वें गुणा ज्यादा मानी जाती है। हमारे अच्छे और बुरे विचार चुम्बकीय शक्ति से शनि तक पहुँचते है और कर्म के अनुसार परिणाम मिलता है। शनि महाराज भले जातकों का कभी अहित नहीं करते।

शनि महाराज की अराधना में ध्यान रखें

शनि महाराज जी की पूजा के दिन शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करना चाहिए। बनते कोशिश सुर्योदय से पहले स्नान करना चाहिए। शनि मंदिर में शनि देव का दर्शन करने के साथ हनुमान जी के दर्शन करना चाहिए। इस दिन उपवास करना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करे।

गरीब व्यक्ति की सेवा करे। उन्हें तेल से बना पकवान व भोजन कराये। गौ ग्रास व कुत्ते को तेल से बनी वस्तु खिलाना चाहिए। बुजुर्गों व जरूरतमंदों की सेवा करना चाहिए। कुछ मान्यताओं के आधार पर इस दिन सुर्य अराधना नहीं करना चाहिए। शनि महाराज की आंखों में न देखें हमारा ध्यान श्री चरनों में रहना चाहिए।

शिंगणापुर धाम के रक्षक शनि महाराज

शिंगणापुर गाँव शनिधाम है। लेकिन एक और बात है जिसके कारण इस धाम ने सारी दुनिया में एक अपनी अलग जगह बनाई है। यहाँ किसी घर में, दुकान पर, दफ्तर में, या बैंक परिसर में कहीं भी ताला नहीं लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता प्राप्त है कि शनि महाराज उनके साजो सामान की रखवाली करते हैं।

शनि महाराज के न्यायदंड के कारण यहाँ कोई भी चोरी नहीं करता है। मान्यता प्राप्त है कि चोर चोरी का सामन लेकर गाँव की सीमा से पार नहीं जा सकते। उन्हें खून की उल्टीयां होने लगती है। या फिर चोर चोरी के माल सहित पकड़े जाते हैं।यह धाम महाराष्ट्र में शिरडी सांई धाम से 70 किमी है। नाशिक से यह दूरी 170 किमी है। औरंगाबाद से इसकी दूरी 68 किमी है। अहमद नगर से सिर्फ 35 किमी है।

शनि देव की पूजा क्यों करते है?

धर्म ग्रंथों के अनुसार जिन जातकों के ऊपर हमेशा कष्ट गरीबी बीमारी और धन संबंधी परेशानी रहती है। उन्हें शनि महाराज जी की उपासना पूजा अर्चना करनी चाहिए।

जातक को प्रत्येक शनिवार को, शनि अमावस्या, व शनि महाराज जी की जयंती के दिन शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और काली वस्तुओं का दान करने से शनि महाराज जी के शनि दोष का प्रकोप कम हो जाता है। शनि मंदिर पास न होने पर हनुमान जी के मंदिर में पूजा अर्चना करने से लाभ मिलता है।

शनि अराधना का मंत्र

ऊँ शं शनिश्चराय नमः

हनुमान जी की अराधना का मंत्र

ऊँ हं हनुमते नमः

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