Dasha Mata vrat 2022 कथा ,पूजा विधि ,मुहूर्त, पूजा सामग्री,और महत्व | 

dasha mata vrat 2022

Dasha Mata vrat 2022: दशा माता का व्रत होली के 10 दिन बाद यानी चैत्र कृष्ण दशमी तिथि पर आता है इस दिन महिलाये जिन्हे घर की लक्ष्मी कहा जाता है सिंगार कर के दशा माता की (पीपल के पेड़) करती है। ऐसा कहा जाता है कि जिन लोगों की दशा यानी आर्थिक स्थिति खराब हो, वे इस दिन व्रत (Dasha Mata Vrat) और पूजा (Dasha Mata Puja) करें तो उनके जीवन की सभी परेशानियां कम हो सकती और सुख समृद्धि लोट आती है।

पूजन के बाद नल दमयंती की व्रत कथा का श्रवण किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में दिए गए उल्लेख के अनुसार इस दिन झाड़ू की खरीददारी करना भी शुभ माना जाता हैं. इस दिन पीपल के वृक्ष की छाल को उतारकर घर लाया जाता है। उसे घर की अलमारी या तिजोरी में सोने के आभूषण के साथ रखा जाता है।

व्रत धारण करने वाली महिलाएं एक वक्त भोजन का धारण करती हैं। खास बात यह है कि, उपवास तोड़ते समय किये जाने वाले भोजन में नमक का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता हैं।

शुभ मुहूर्त मे पीला धागा गले में धारण करती हैं। और उस धागे को कम से कम दस दिन अपने गले में पहनती है।

यदि इंसान की दशा ख़राब होती है तो अनेक प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ता है दुःख भोगना पड़ता है। बहुत कोशिशों धरम पुण्य के बाद भी कोई काम पूरा नहीं होता। ऐसी ही परेशानियों से उबारने वाला होता है दशा माता का व्रत। इस व्रत को जो भी महिला भक्ति-भाव से करती है, उसके घर से दु:ख और दरिद्रता दूर हो जाती है और उसके घर परिवार की दशा सुधर जाती हैं।

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दशामाता पूजा शुभ मुहूर्त

दशा माता की पूजा शुभ मुहूर्त में की जाती है। जब सुबह से दोपहर तक जब भी शुभ, लाभ, या अमृत का चौघड़िया रहता है। तब आप दशा माता की पूजा कर सकते है।

Dasha Mata vrat 2022 Date

इस वर्ष 2022 में दशामाता का व्रत 27 मार्च, रविवार को रहेगा |

दशा माता व्रत विधि (Dasha Mata vrat vidhi)

  • दशामाता व्रत के दिन भगवान विष्णु के स्वरूप पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है।
  • इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं कच्चे सूत का 10 तार का डोरा बनाकर उसमें 10 गांठ लगाती हैं और पीपल वृक्ष की प्रदक्षिणा करते उसकी पूजा करती हैं।
  • पूजा करने के बाद वृक्ष के नीचे बैठकर नल दमयंती की कथा सुनती हैं।
  • इस दिन पीपल के पेड़ की 10 परिक्रमा के साथ पेड़ पर सूत लपेटती है।
  • इसके बाद परिवार के सुख-समृद्धि की कामना करते हुए डोरा गले में बांधती हैं।
  • पीपल के पेड़ की थोड़ी सी छाल खुरच कर गेहूं के दानों के साथ घर लाते हैं।
  • इसे साफ कपड़े में लपेट कर तिजोरी या अलमारी में रखते हैं। पीपल की छाल को धन का प्रतीक माना जाता है।
  • घर आकर द्वार के दोनों हल्दी कुमकुम के छापे लगाती है।
  • इस दिन व्रत रखा जाता है और एक समय भोजन किया जाता है।
  • भोजन में नमक का प्रयोग नहीं किया।
  • इस व्रत के दिन झाड़ू का पूजन किया जाता है।

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दशा माता व्रत कथा:

दशा माता के व्रत में राजा नल और दमयंती की कथा का बहुत महत्त्व होता है। इसे जरूर सुने।

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