Uttar Ramayan kya hai?

लॉकडाउन के समय में दूरदर्शन के पुराने सीरियल रामायण का प्रसारण किया गया था | ताकि लोग घरो में रह कर इसका आनंद उठाये और घर पर ही रहे| इससे दूरदर्शन ने अच्‍छी टीआरपी भी हासिल की है। अब खबरो के माध्यम से यहाँ पता चल रहा है कि दूरदर्शन उत्तर रामायण (Uttar Ramayan) का भी दोबारा प्रसारण शुरू करेगा। जिसमे “लव कुश ” के बारे में बताया जायेगा |

यह प्रसारण 19 अप्रैल से शुरू होगा।इसके केवल रात को 9 बजे के टाइम स्‍लॉट में प्रसारित किया जाएगा। सुबह 9 बजे के स्‍लॉट में बीती रात के एपिसोड को ही रिपीट किया जाएगा।

Uttar Ramayana:  रामायण भारतीय संस्कृति का एक महाकाव्य है। यह आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य है। इसमें मर्यादा पुरषोत्तम राम की महिमाओ का वर्णन किया गया है |इसे आदिकाव्य तथा इसके रचयिता महर्षि वाल्मीकि को ‘आदिकवि’ भी कहा जाता है।मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को आदर्श पुरूष और सनातन संस्कृति का आराध्य देव माना गया है।

उत्तर रामायण क्या है?

उत्तर रामायण में श्री राम के वनवास से लौटने के पश्चात् के जीवन का बहुत ही मनोहारी वर्णन किया गया है। जैसे राम के राज्याभिषेक और उनके राज्य में प्रजा कितनी खुश है और कितनी शांति से जीवन व्यतीत करती है का वर्णन किया गया है। इसके पश्चात उत्तर रामायण में लव कुश के जीवन का बहुत ही मनोहर एवं सौन्दर्यता से वर्णन किया गया है।

सात कांडों में विभक्त है रामायण

रामायण एवं रामचरित मानस ये दोनों ही महाकाव्य सात भागो में विभक्त किये गए है | दोनों महाकाव्यों में पहले बालकांड का वर्णन किया गया है। फिर अयोध्याकांड, अरण्यकांड, किष्किंधाकांड, सुंदरकांड, लंकाकांड और उत्तरकांड है। उत्तरकाण्ड में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के वनवास से लौटने के पश्चात की घटनाओ का वर्णन किया गया है |

रामायण में सात चरण है, या कांड या अध्याय भी कह सकते हैं॥ सभी अध्याय कही न कहीं एक सवाल है। अधर्म पर धर्म की विजय कैसे होगी।भगवान श्रीराम के द्वारा रावण का संहार हुआ और राम जी अवध के राजा बने। ये सातों अध्याय मानव के तन में स्थित हर एक चक्र के समान है । जैसे पहला कांड मुलाधार दुसरा स्वाधिष्ठान ऐसे ही क्रमशः मणिपुर, अनाहद, विशुद्ध, आज्ञा और सहस्त्रार।

राम जी के राजा बनने के बाद माँ सीता जी को ऐक क्षुब्ध व्यक्ति केद्वारा अपमानित करने के बाद वन में छोड़ दिया गया। बस यही से आठवें अध्याय का प्रारंभ होता है। जिसे हम लवकुश कांड कहते हैं। जिस प्रकार हमारे सातवें चक्र हमारी शिखा सबसे उपर होता है।

हम जिसे ध्यान भी कहते हैं। इस के बाद ही समाधि याने समर्पण की प्राप्ति होती है। लव कुश कांड भी एक समर्पण है। माँ सीता लव कुश को राम जी को सौंप कर धरती में समा जाती है। राम जी अवध का राज लवकुश को सौंप कर अपने धाम को चले जाते है।

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