देवी के 52 शक्ति पीठ

हम सभी जानते हैं कि प्रजापति दक्ष के द्वारा भगवान शिव को अपमानित करने के बाद माता सति ने दक्ष के अन्न से पोषित देहि को पवित्र अग्नि को समर्पित कर दिया था। शिव जी ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का विधवंश किया।भगवान शंकर जी माता सति की देहि को लेकर जब शोकातुर होकर कैलाश की ओर जाने लगे तब श्री विष्णु जी ने जनकल्याण के लिए सुदर्शन चक्र से माता सति के शरीर को 52 भागों में विघटित कर दिया।

शक्ति पीठ क्या है?

माता सति के शरीर के दिव्यांग जहाँ जहाँ भी स्थापित हुए वह स्थान आज भी परमशान्तिको देने वाले आदि शक्ति पीठ के रूप में दर्शनीय पुजनीय है। सभी शक्ति पीठ की ५2 शक्तियां है हर शक्ति का रक्षक भैरव है जो अपने 52 स्वरूपों मेंशक्ति पीठों की रक्षा करते हैं। हम यहाँ माता सति के स्वरूपों की और रक्षक भैरव की देवी पुराण के अनुसार जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।

देवी के 52 शक्ति पीठ की लिस्ट

1) -हिंगलाज

माता का हिंगलाज शक्ति पीठ करांची से 125 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है| मान्यता है यहाँ माता का सिर गिरा था| ब्रह्मरन्ध्र गिरा था|इसकी शक्ति भैरवी कोट्टवीशा और भीम लोचन भैरव इस शक्ति पीठ की रक्षा करते हैं|

2) शर्कररे (करवीर)

यह शक्ति पीठ पाकिस्तान में कराची के सुक्कर स्टेशन के पास है|जहाँ माता सति की आंख गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम महिषासुर मर्दिनी है|तथा इस शक्ति पीठ की रक्षा क्रोधिश भैरव करते हैं|

3. सुगंधा शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिशाल से 20 किमी दूर सोंध नदी के किनारे पर प्रतिष्ठित है|जहाँ माता सति की नासिका गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम सुनंदा है और त्र्यम्बक भैरव इसके रक्षक है|

४. कश्मीर शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ भारत के कश्मीर में पहलगाम के पास है|यहाँ माता सति का कंठ गिरा था|इसकी शक्ति का नाम महामाया है|इसके रक्षक भैरव को त्रिसंध्येश्वर कहते हैं|

5. ज्वालामुखी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ भारत के हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित है|यहाँ माता सति की जीभा गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम सिद्धिदा अंबिका है|रक्षक भैरव को उन्मत्त भैरव कहते हैं|

6. जालंधर शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पंजाब के जालंधर में स्थित है|छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब है जहाँ माता सति का बांया वक्ष(स्तन) गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम त्रिपुर मालिनी है|भीषण भैरव इसके रक्षक है|

7. वैधनाथ शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ झारखंड के देवघर में बैधनाथ धाम नाम से प्रतिष्ठित है|यहाँ माता सति का हृदय गिरा था|इसकी शक्ति जय दुर्गा है|रक्षक भैरव को बैधनाथ कहते हैं|

8. गुजरेश्वरी शक्तिपीठ

यह नेपाल में पशुपति नाथ मंदिर के पास स्थित है|यहाँ माता सति के घुटने गिरे थे|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम महाशिरा है|इसके रक्षक भैरव को कपाली भैरव कहते हैं|

9. मानस दाक्षायणी शक्तिपीठ

यह तिब्बत में स्थित कैलाश मानसरोवर के मानसा के निकट एक पाषाण शिला पर माता सति का दांया हाथ गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति दाक्षायणी है|इस शक्ति पीठ के रक्षक भैरव अमर भैरव कहलाते हैं|

10. विरजा शक्तिपीठ – विरजा क्षेत्र

भारत के उड़ीसा प्रदेश के विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता सति की नाभि गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम विमला है|इस शक्ति पीठ के रक्षक भैरव को जगन्नाथ कहते हैं|

11. गंडकी शक्तिपीठ

यह नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है| यहाँ माता की गंडस्थल अर्थात कनपटी गिरी थी|इस मंदिर की शक्ति माता गंडकी चण्डी है|चक्रपाणि भैरव इसके रक्षक है|

12. बहुला चण्डीका शक्तिपीठ

पश्चिम बंगाल के बर्धमान जिला जिससे 8 किमी दूर कटुआ केतु ग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित है|यहाँ माता सति का बांया हाथ गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति देवी बहुला चण्डीका है|रक्षक भैरव भीरुक सेवा में स्थापित है|

13. मांगल्य चंडिका शक्तिपीठ

भारत के पश्चिम बंगाल में बर्धमान जिला से 16 किमी दूर गुस्कुर स्टेशन जहाँ उज्जयिनी नामक स्थान पर माता सति की दांयी कलाई गीरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम मंगल चन्द्रिका है|कपिलांबर भैरव इसके रक्षक भैरव है|

14. त्रिपुरसुंदरी शक्तिपीठ

यह भारत के त्रिपुरा के उदरपुर के पास राधा किशोरपुर गाँव के माताबाढी़ पर्वत शिखर पर है|यहाँ माता सति का दांया पैर गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति त्रिपुरसुंदरी है|इसके रक्षक भैरव त्रिपुरेश है|

15. चट्टलभवानी शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश के चटगांव जिला के सीताकुंड स्टेशन के पास चन्द्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल) में स्थित है| यहाँ माता सति की दांयी भुजा गिरी थी|इसकी शक्ति माता भवानी है|रक्षक भैरव को चन्द्र शेखर कहते हैं|

16. त्रिस्रोता भ्रामरी शक्तिपीठ

भारत के पश्चिमी बंगाल के जलपाईगुड़ी के बोडामंडल के सालबाढी़ ग्राम स्थित त्रिस्रोत स्थान पर है| यहाँ माता सति का बांया पैर गिरा था|यह भ्रामरी शक्ति के नाम से प्रसिद्ध है|इसका रक्षक भैरव अंबर भैरव है|

17. कामाख्या शक्तिपीठ

भारत के असम राज्य के गुवाहाटी जिले के कामगिरी क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत पर है|इस स्थान पर माता सति का योनि भाग गिरा था|इसकी शक्ति माँ कामाख्या है|इसके रक्षक भैरव को उमानंद भैरव कहते हैं|

18. प्रयाग ललिता शक्तिपीठ

भारत के उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयाग) के संगम तट पर यह शक्ति पीठ स्थित है|यहाँ माता सति की अंगुली गिरी थी|इसकी शक्ति ललिता देवी है| रक्षक भैरव को भव भैरव कहते हैं|

19. जयंती शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गाँव के कालाजोर खासी पर्वत पर स्थित है|यहाँ माता की बांयी जंघा गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति जयंती माता है|रक्षक भैरव को क्रमदीश्वर भैरव से जाना जाता है|

20. युगाद्धा भूतधात्री शक्तिपीठ

यह पश्चिम बंगाल में बर्धमान जिले में खीर ग्राम स्थित युगाद्धा स्थान पर स्थित है|यहाँ माता सति का दाएँ पैर का अंगूठा गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति भूतधात्री माता है|इसके रक्षक भैरव को क्षीर खंडक कहते हैं|

21. काली पीठ. कालिका शक्तिपीठ

यह बंगाल के कोलकाता में स्थित है|यहाँ कालीघाट में माता सति के बांया पैर का अंगुठा गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ कालिका है| रक्षक भैरव को नकुशील भैरव कहते हैं|

22. किरीट. विमला भुवनेशी शक्तिपीठ

यह पश्चिम बंगाल में मुर्शीदाबाद जिला किरीटकोण ग्राम के पास स्थित है|यहाँ माता सति का मुकुट गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ विमला है|इसके रक्षक भैरव को संवर्त्त भैरव कहते हैं|

23. विशालाक्षी शक्तिपीठ

यह उत्तरप्रदेश के वाराणसी काशी में स्थित है|यहाँ मणिकर्णिका घाट पर माता सति के कान के कुंडल गिरे थे|इसकी शक्ति माँ विशालाक्षी मणिकर्णि है| इसके रक्षक भैरव को कालभैरव कहते हैं|

24. सर्वाणी शक्तिपीठ

यह कन्याआश्रम यहाँ माता सति का पृष्ठ भाग गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति सर्वाणी माता है|रक्षक भैरव को निमिष कहते हैं|

25. सावित्री शक्तिपीठ

यह हरियाणा के कुरूक्षेत्र में स्थित है|यहाँ माता सति की एड़ी गिरी थी|इसकी शक्ति सावित्री हैं|रक्षक भैरव को स्थाणु भैरव कहते हैं|

26. मणिदेविक गायत्री शक्तिपीठ

यह अजमेर के पास पुष्कर के मणिबंध गायत्री पर्वत पर स्थित है|यहाँ माता सति के दो मणिबंध गिरे थे|इसकी शक्ति माँ गायत्री है|रक्षक भैरव को सर्वानंद भैरव कहते हैं|

27. श्री शैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ

यह बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर पूर्व में जैनपुर गाँव के समीप शैल नामक स्थान पर स्थित है|यहाँ माता सति का गला गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति महालक्ष्मी है|इसकी रक्षा शम्बरानंद भैरव करते हैं|

28. कांची देवगर्भा शक्तिपीठ

यह पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिला के बोलापुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोप ई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर स्थित है|यहाँ माता सति की अस्थि गिरी थी|इस शक्ति पीठ की शक्ति देवगर्भा है|इसके रक्षक भैरव को रुरु भैरव कहते हैं|

29. कालमाधव देवी कालकी शक्तिपीठ

यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक के पास कालमाधव स्थित सोन नदी तट पर स्थित है|यहाँ माता सति का बांया नितंब गिरा था|ईस शक्ति पीठ की शक्ति माता काली है| इसके रक्षक भैरव को असितांग भैरव कहते हैं|

30. शोणदेश नर्मदा शोणाक्षी शक्तिपीठ

यह मध्यप्रदेश के अमरकंटक स्थित नर्मदा मैया के उद्गम पर शोणदेश स्थान पर स्थित है|यहाँ माता सति का दांया नितंब गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति माता नर्मदा है|इसके रक्षक भैरव को भद्रसेन कहते हैं|

31. रामगिरि शिवानी शक्ति पीठ

यह शक्ति पीठ उत्तरप्रदेश के झांसी मणिपुर रेलवे स्टेशन चित्र कुट के पास रामगिरि में स्थित है|यहाँ माता सति का दांया वक्ष गिरा था|इस शक्ति पीठ की शक्ति शिवानी है|रक्षक भैरव को चंड भैरव के नाम से जानते हैं|

32. उमा शक्तिपीठ – वृन्दावन

यह शक्ति पीठ उत्तरप्रदेश के मथुरा के पास वृन्दावन में भुतेश्वर स्थान पर स्थित है|यहाँ माता सति के गुच्छे व चुड़ामणि गिरे थे|इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम उमा है|इसके रक्षक भैरव को भूतेश्वर भैरव के नाम से जानते हैं|

33. शुचि- नारायणी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ तमिलनाडु के कन्याकुमारी तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर स्थित है|यहाँ माता सति के ऊपरी दांत गिरे थे|इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ नारायणी हैं|इसके रक्षक भैरव को संहार भैरव कहते हैं|

34. पंचसागर- वाराही शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पंच सागर( अज्ञात स्थान) यहां माता सति के निचले दांत गिरे थे| इसकी शक्ति वराही है| और महारुद्र भैरव इसकी रक्षा करते हैं|

35. करतोयातट- अपर्णा शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ बाग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानी पुर गाँव के पास करतोया तट पर स्थित है|यहाँ माता सति की पायल गिरी थी| इस शक्ति पीठ की शक्ति अपर्णा माता है| वामन भैरव इसकी रक्षा करते हैं|

36. श्री पर्वत- श्री सुन्दरी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ लद्दाख के श्री पर्वत पर स्थित है| यहाँ माता सति के दांये पैर की पायल गिरी थी| दुसरी मान्यता आन्ध्रप्रदेश के श्री शैली में स्थित है इस शक्ति पीठ की शक्ति श्री सुन्दरी देवी है| इस शक्ति पीठ के रक्षक भैरव को सुन्दर आनंद भैरव कहते हैं|

37. विभाष- कपालिनी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के पुर्वी मेदिनी पुर केपास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर स्थित है| यहाँ माता सति की बांयी एड़ी गिरी थी| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम कपालिनी है| इसके रक्षक भैरव शर्वानंद भैरव कहलाते हैं|

38. प्रभास- चन्द्रभागा शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ गुजरात के जुनागड़ जिले में सोमनाथ मंदिर के पास स्थित है | यहाँ प्रभास क्षेत्र में माता सति का उदर गिरा था| इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ चन्द्रभागा है| वक्रतुण्ड भैरव इसकी रक्षा करते हैं|

39. भैरव पर्वत- अवंती शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर भैरव पर्वत पर स्थित है | यहाँ माता सति के ओष्ठ गिरे थे| इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ अवंती देवी है| इसके रक्षक भैरव को लम्बकर्ण कहते हैं|

40. जनस्थान- भ्रामरी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ महाराष्ट्र के नाशिक में गोदावरी नदी घाटी में जन स्थान में स्थित है| यहाँ माता सति की ठोड़ी गिरी थी| इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ भ्रामरी देवी है| इसके रक्षक भैरव को विकृताक्ष भैरव कहते हैं|

41. सर्वशैल स्थान- राकिनी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री में गोदावरी नदी तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास शर्वशैल स्थान पर स्थित है| यहाँ माता सति के गाल( वाम गंड) गिरे थे| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम राकिनी शक्ति है| इस शक्ति पीठ के रक्षक भैरव वत्सनाभम कहलाते हैं|

42. गोदावरीतीर- विश्वेश्वरी शक्तिपीठ

यह गोदावरी तट पर स्थित है| यहाँ माता सति के दक्षिण गंड( गाल) गिरे थे|इस शक्ति पीठ की शक्ति माता विश्वेश्वरी है| इसके रक्षक भैरव को दंडपाणि भैरव कहते हैं|

43. रत्नावली- कुमारी शक्तिपीठ

यह बंगाल में हुगली जिले के खाना कुल कृष्णानगर मार्ग पर स्थित है| यह रत्नावली नदी के तट पर स्थित है| यहाँ माता सति का दांया स्कंध गिरा था| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम कुमारी देवी है| इसके रक्षक भैरव को शिव कहते हैं|

44. मिथिला- उमा महादेवी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ भारत और नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में स्थित है| यहाँ माता सति का बांया स्कंध गिरा था| इस शक्ति पीठ की शक्ति माँ उमां है| रक्षक भैरव को महोदर भैरव कहते हैं|

45. नलहाटी- कालिका तारापीठ

यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूमि के नलहाटी में स्थित है| यहाँ माता सति के पैर की हड्डी गिरी थी| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम कालिका देवी है| इसके रक्षक भैरव को योगेश भैरव कहते हैं|

46. कर्णाट- जय दुर्गा शक्तिपीठ

कर्णाट यह अज्ञात स्थान है| यहाँ माता सति के दोनों कान गिरे थे| इस शक्ति पीठ की शक्ति जय दुर्गा है| इसके रक्षक भैरव को अभिरु भैरव कहते हैं|

47. वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूमि दुबराजपुर से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पाप हर नदी के तट पर स्थित है| यहाँ माता सति का भ्रू मध्य( मन;) गिरा था| इस शक्ति पीठ की शक्ति महिषमर्दिनी है| इसके रक्षक भैरव को वक्र नाथ भैरव कहते हैं|

48. यशोर- यशोरेश्वरी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ बांग्लादेश खुलना जिले के ईश्वरपुर में यशोर स्थान पर स्थित है| यहाँ माता सति के हाथ और पैर ( पाणिपद्म) गिरे थे| इस शक्ति पीठ की शक्ति यशोरेश्वरी है| इसके रक्षक भैरव को चण्ड भैरव कहते हैं|

49. अट्टाहास- फुल्लरा शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान पर स्थित है| यहाँ माता सति के ओष्ठ गिरे थे| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम फुल्लरा देवी है| इसके रक्षक भैरव को विश्वेश भैरव कहते हैं|

50. नंदीपुर- नंदिनी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ पश्चिम बंगाल के जिला वीरभूम के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर में स्थित है| यहाँ माता सति का गले का हार गिरा था| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम नंदिनी है| इसके रक्षक भैरव को नंदिकेश्वर कहते हैं|

51. लंका- इंद्राक्षी शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ श्रीलंका में त्रिकोमाली में स्थित है| यहाँ माता सति की पायल गिरी थी| इसके रक्षक भैरव को राक्षसेश्वर भैरव कहते हैं| इस शक्ति पीठ की शक्ति का नाम इंद्राक्षी है|

52. विराट- अंबिका शक्तिपीठ

यह शक्ति पीठ विराट ( अज्ञात स्थान) है| यहाँ माता सति की पैर की अंगुली गिरी थी| इस शक्ति पीठ की शक्ति अंबिका है| इसके रक्षक भैरव को अमृत भैरव कहते हैं|

विशेष

यह समस्त जानकारी संकलित अंश है| इसके अलावा कई माँ आदि शक्ति के दिव्य स्थान है| हर स्थान की अपनी महिमा अपरंपार अनंत है|माँ आदि शक्ति हर प्राणी में आत्मा रुप में विद्यमान है|

या देवी सर्वभूतेषु सर्व रुपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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